राष्ट्रीय संग्रहालय की संरक्षण प्रयोगशाला ने अपने आरंभ से ही कलाकृतियों के संरक्षण और पुनर्स्थापन के क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रयोगशाला बनने के लिए प्रयास किए हैं। आरंभ में इसका मुख्य कार्य था - राष्ट्रीय संग्रहालय के विशाल संग्रह की देखभाल करना। किन्तु आज यह प्रयोगशाला तैलचित्रों और कलाकृतियों की पहचान, परीक्षण और वास्तविक पुनर्स्थापन में अन्य संस्थाओं, राजभवनों और अन्य सार्वजनिक एजेंसियों की भी सहायता कर रही है। विशाल और विविध संग्रह को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार सुपरिरक्षित रखने के अतिरिक्त प्रयोगशाला द्वारा शोध और क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।
प्रयोगशाला द्वारा लिखित और ग्राफिक रिकॉर्ड ; रेडियोग्राफिक प्रलेखन ; सामान्य, तिर्यक, अवरक्त और पराबैंगनी प्रकाश में छायाचित्रण और परमाण्वीय अवशोषण और एक्सरे विवर्तन उपकरण द्वारा विश्लेषण कर कलाकृतियों का प्रलेखन किया जाता है। ये अध्ययन कलाकृतियों के फिंगर प्रिंट तैयार करने में सहायता करते हैं और बाद में इनका उपयोग कलाकृतियों को हुई किसी भी प्रकार की क्षति अथवा नकली कलाकृतियों की पहचान करने और पुरावस्तुओं की उपयुक्त सुरक्षा के लिए किया जाता है।
प्रयोगशाला द्वारा विभिन्न विभागों के संग्रह की कलाकृतियों का नियमित सर्वेक्षण और फिर प्राथमिकता के आधार पर उनका रासायनिक उपचार किया जाता है। ताड़पत्र, चर्मपत्र, कागज, लघुचित्र, वस्त्र और तैलचित्र जैसी कोमल प्रकृति की सामग्री और साथ ही धातु एवं उनके अयस्क, प्रस्तर, मृण्मूर्ति, सिरामिक और तैलचित्रों का अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार रासायनिक उपचार किया जाता है। वर्तमान में निम्न संरक्षण परियोजनाओं पर काम किया गया :
प्रयोगशाला द्वारा विद्यार्थियों, संग्रहाध्यक्षों और संरक्षकों के लिए अनेक प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इसके अतिरिक्त संरक्षकों के मध्य विचार-विनिमय और सांस्कृतिक संपदा के संरक्षण के प्रति जनचेतना जागृत करने हेतु कार्यशालाओं और सेमिनारों का भी आयोजन किया जाता है।